Dekhe Mai Chhabi Ati Vichitra Hari Ki
देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी
देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी ॥ध्रु०॥
आरुण चरण कुलिशकंज । चंदनसो करत रंग सूरदास जंघ जुगुली खंब कदली ।
कटी जोकी हरिकी ॥१॥
उदर मध्य रोमावली । भवर उठत सरिता चली । वत्सांकित हृदय भान ।
चोकि हिरनकी ॥२॥
दसनकुंद नासासुक । नयनमीन भवकार्मुक । केसरको तिलक भाल ।
शोभा मृगमदकी ॥३॥
सीस सोभे मयुरपिच्छ । लटकत है सुमन गुच्छ । सूरदास हृदय बसे ।
मूरत मोहनकी ॥४॥
– Surdas